Pm modi visit china for sco summit:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस बार वजह है उनका बहुचर्चित चीन दौरा, जो कि 2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद पहली बार हो रहा है। इस ऐतिहासिक दौरे में पीएम मोदी शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन जाने वाले हैं। यह दौरा कई मायनों में अहम है, खासतौर पर भारत-चीन के बीच बीते कुछ वर्षों से बने तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए। इस लेख में हम समझेंगे कि पीएम मोदी का यह दौरा क्यों खास है, क्या है एससीओ सम्मेलन का महत्व, और भारत-चीन के रिश्तों में यह क्या नया मोड़ ला सकता है।
Pm modi visit china for sco summit: Galwan clash, india china tension
जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन की ओर भी कई सैनिक मारे गए थे (हालांकि चीन ने सही आंकड़ा नहीं बताया)। इस घटना ने दोनों देशों के संबंधों में गहरी खटास ला दी थी। तब से अब तक कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री या उच्च स्तरीय नेता चीन नहीं गया था।
Pm modi visit china for sco summit: What is SCO Summit and importance?
एससीओ यानी शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन एक क्षेत्रीय सहयोग संगठन है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक मेलजोल को बढ़ावा देना है।इस बार का एससीओ सम्मेलन चीन के शहर किंगदाओ में हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी की भागीदारी भारत के लिए एक अहम रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
Pm modi visit china for sco summit: Not Only for SCO But also indian strategy
पीएम मोदी का यह दौरा केवल एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने भर की बात नहीं है, बल्कि यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक चाल भी मानी जा रही है। इस दौरे के जरिये भारत चीन को यह संदेश देना चाहता है कि वह बातचीत के लिए तैयार है लेकिन अपने आत्मसम्मान और सीमा सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।यह दौरा भारत के इस रुख को भी दर्शाता है कि वह क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाने के लिए हमेशा तैयार है, भले ही सामने वाला देश चीन ही क्यों न हो।

Pm modi visit china for sco summit:Diraction of india china new way talk
हालांकि इस दौरे के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत जरूर हो सकती है।यदि यह बातचीत होती है, तो उसमें सीमा विवाद, व्यापारिक असंतुलन, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग जैसे मुद्दे उठ सकते हैं। भारत की ओर से सीमा विवाद और गलवान जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने की गारंटी की मांग की जा सकती है।
Pm modi visit china for sco summit:Whole word are watching very closely
दुनियाभर के राजनीतिक विश्लेषक इस दौरे को बहुत करीब से देख रहे हैं। वजह साफ है – भारत और चीन एशिया के दो सबसे बड़े और शक्तिशाली देश हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों का भविष्य न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे विश्व की राजनीति को प्रभावित कर सकता है इसके अलावा अमेरिका, रूस, और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों की भी नजर इस दौरे पर है, क्योंकि वे यह जानना चाहते हैं कि भारत चीन के साथ किस प्रकार का रिश्ता बनाना चाहता है और क्या वह अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहता है या कुछ लचीलापन दिखाता है।
Indian Forign Policy
पीएम मोदी का चीन दौरा भारत की विदेश नीति की परिपक्वता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भारत केवल भावनाओं में बहकर निर्णय नहीं लेता, बल्कि अपनी रणनीति को वैश्विक मंचों के हिसाब से तैयार करता है। भारत यह समझता है कि अगर वह वैश्विक शक्ति बनना चाहता है तो उसे कठिन परिस्थितियों में भी संवाद का रास्ता खुला रखना होगा। चीन से भले ही मतभेद हों, लेकिन संवाद ही समस्याओं को सुलझाने का पहला कदम होता है।
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इस दौरे से कई संभावनाएं निकल सकती हैं:
भारत-चीन के बीच बातचीत का एक नया दौर शुरू हो सकता है।
सीमा विवाद पर नए सिरे से चर्चा की संभावना बन सकती है।
एससीओ के जरिए भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत कर सकता है।
वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति और मजबूत हो सकती है।
Conclusion
प्रधानमंत्री मोदी का यह चीन दौरा एक बहुत ही संवेदनशील समय पर हो रहा है, जब भारत-चीन संबंधों में भरोसे की बहुत कमी है। ऐसे में यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि इस दौरे से तुरंत कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह संवाद की एक नई शुरुआत हो सकती है।आज की बदलती दुनिया में रिश्तों को केवल जंग और तनाव से नहीं संभाला जा सकता, बल्कि कूटनीति, संवाद और संयम से ही आगे बढ़ा जा सकता है। अगर चीन इस बात को समझे और व्यवहार में लाए, तो शायद गलवान जैसे हादसे दोबारा न हों और भारत-चीन फिर से शांति और सहयोग के रास्ते पर लौट सकें।