pm modi visit china:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएँ हमेशा चर्चा का विषय रही हैं। हाल ही में उन्होंने जापान का दौरा पूरा किया और अब वे चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा बेहद खास है क्योंकि यह लगभग सात साल बाद हो रही है। pm modi visit china न सिर्फ भारत-चीन संबंधों के लिहाज़ से अहम है, बल्कि पूरे एशिया और वैश्विक राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
Pm Modi Visit China दौरे से मिली मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले जापान का दौरा किया, जहाँ उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा, निवेश और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई अहम समझौते किए। जापान ने भारत में लगभग 10 ट्रिलियन येन (करीब 68 अरब अमेरिकी डॉलर) का निवेश करने का वादा किया। यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी उपलब्धि है।
जापान में मोदी ने एक बड़ा संदेश भी दिया कि भारत और चीन जैसे बड़े पड़ोसी देशों को वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
चीन यात्रा क्यों अहम है?
अब जब बात आती है pm modi visit china की, तो यह सिर्फ एक सामान्य यात्रा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन शहर में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
यह मोदी जी की सात साल बाद चीन की पहली आधिकारिक यात्रा है। इस दौरान वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत 20 से अधिक वैश्विक नेताओं से मुलाकात करेंगे।
SCO सम्मेलन की खासियत
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एशिया का एक बड़ा संगठन है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं। इस सम्मेलन में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
pm modi visit china इसलिए और भी अहम है क्योंकि भारत-चीन के बीच पिछले कुछ सालों से सीमा विवाद और राजनीतिक मतभेद रहे हैं। अब यह यात्रा रिश्तों में नई शुरुआत कर सकती है।
भारत-चीन संबंधों की नई दिशा

2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। चीन और भारत, दोनों ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। ऐसे में अगर रिश्ते बेहतर होते हैं तो न केवल दोनों देशों को फायदा होगा बल्कि पूरी एशिया की स्थिरता और विकास पर भी असर पड़ेगा।
मोदी जी का यह कहना कि अगर भारत और चीन दोस्ताना संबंध रखते हैं तो एशिया और दुनिया स्थिर रह सकती है एक बड़ा कूटनीतिक संदेश है।
अमेरिकी टैरिफ़ संकट और भारत की रणनीति
अभी हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है। इसका असर भारतीय निर्यात और व्यापार पर पड़ सकता है। ऐसे समय में जापान और चीन जैसे एशियाई देशों के साथ मजबूत साझेदारी भारत को आर्थिक झटकों से बचा सकती है।
pm modi visit china इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। भारत चाहता है कि चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते बेहतर हों और निवेश के नए अवसर खुलें।
भारत में आम लोग भी इस यात्रा को उत्सुकता से देख रहे हैं। व्यापारियों को उम्मीद है कि अगर भारत-चीन रिश्ते सुधरते हैं तो व्यापार और निवेश के नए अवसर खुलेंगे। वहीं सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि SCO सम्मेलन में आतंकवाद और सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर खुलकर बात हो सकती है।
दुनिया को क्या संदेश जाएगा?
इस यात्रा से दुनिया को कई संदेश जाएंगे
- भारत और चीन दोनों एशिया में स्थिरता और विकास के लिए जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं।
- भारत केवल पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह एशियाई सहयोग को भी महत्व देता है।
- इस यात्रा से भारत की बहुपक्षीय कूटनीति (multi-lateral diplomacy) और भी मजबूत होगी।
- भविष्य की राह
अगर यह यात्रा सफल होती है तो आने वाले समय में भारत-चीन के बीच और भी समझौते हो सकते हैं। ऊर्जा, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है।
pm modi visit china भारत की विदेश नीति का एक ऐसा पड़ाव है, जो भविष्य में एशिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करने वाला कदम है। जापान से निवेश और चीन से संवाद दोनों ही भारत के लिए सुनहरे अवसर लेकर आ सकते हैं।
pm modi visit china वाकई इतिहास में दर्ज होने वाला पल साबित हो सकता है। यह यात्रा न सिर्फ भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देगी, बल्कि पूरे एशिया और दुनिया को स्थिरता, विकास और सहयोग का नया संदेश भी देगी।